Yog Abhyas

🧘‍♂आज का योग अभ्यास🧘‍♀

अपनी समस्त इंद्रियों को मन से दमन कर विषयों में प्रवृत्त ना होने देकर उनसे कार्य लें।

विवरण: मनुष्य का मन स्वाभाविक रुप से उसकी समस्त इंद्रियों को उनके विषयों की ओर दौड़ता रहता है। विषयों को निरंतर भोगने के कारण मनुष्य की इंद्रियां उन विषयों में इतनी लीन हो जाती है कि वह अपने जीवन के सभी अध्यात्मिक मूल्यों को भूल जाती है और उसे केवल इन विषयों को भोगने में ही सुख मिलने लगता है। जबकि मनुष्य इस बात को भी भूल जाता है कि इन सब विषयों को भोगने पर मिलने वाला सुख एक ऐसा भ्रम है जो धीरे धीरे कर उसको इन विषयों का आदि बना देता है।

मनुष्य केवल मन और बुद्धि के माध्यम से ही इन सभी इंद्रियों को विषयों की ओर दौड़ने से रोक सकता है ताकि मनुष्य कि समस्त इंद्रियां विषयों का केवल उपभोग करें ना कि उनमें रम कर अपनी आत्मिक उन्नति में उनको बाधा बनने का मौका दें। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को चाहिए कि वह अपनी समस्त इंद्रियों को अपने आंतरिक बल की मदद से विषयों में प्रवृत न होने देकर अधिक से अधिक समय के लिए भगवान की भक्ति और सेवा में लगाए।

- गीता ज्ञान परिवार

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