Mahan Geeta Gyan
🌞 आज की गीता प्रेरणा 🌞
पूर्व आभासों के आधार पर हम भविष्य के सुख-दुख की कल्पना करते हैं। भविष्य के दुख का कारण दूर करने के लिए हम आज योजना बनातें हैं। किन्तु कल के संकट को आज र्निमूल करने से हमे लाभ मिलता है या हानि पहुँचती है? ये प्रश्न हम कभी नही करते। सत्य तो यह है कि संकट और उसका निवारण साथ जन्मते हैं, व्यक्ति के लिए भी और सृष्टि के लिए भी...... विचार कीजिए क्या ऐसा नही है? आप अपने भूतकाल का स्मरण कीजिए, समग्र इतिहास को देखिए... आप तुरन्त ही ये जान पायेंगे कि जब-जब संकट आता है, तब-तब उसका निवारण करने वाली शक्ति भी जन्म लेती है! यही तो संसार का चलन है। वस्तुतः संकट ही शक्ति के जन्म का कारण है, प्रत्येक व्यक्ति जब संकट से निकलता है तो एक पद आगे बड़ा होता है, अधिक चमकता हुआ होता है, आत्मविश्वास से भरा होता है। न केवल अपने लिए अपितु विश्व के लिए भी... क्या यह सत्य नही? वास्तव मे संकट का जन्म है एक अवसर का जन्म! अपने आपको बदलने का, अपने विचारों को ऊँचाई पर करने का अवसर, अपनी आत्मा को बलवान और ज्ञान मंडित बनाने का अवसर! जो ये कर पाता है उसे कोई संकट नही होता। किन्तु जो यह नही कर पाता, वो तो स्वंय एक संकट है... स्वंय के लिए भी और संसार के लिए भी!
- गीता ज्ञान परिवार
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