Geeta Gyan Sandesh

🐚 गीता का संदेश 🐚

मनुष्य शरीर अपने किये हुए कर्मों का फल ही लोक तथा परलोक मैं भोगा जाता है। जैसे धूल का छोटा से छोटा कण भी विशाल पृथ्वी का ही एक अंश है, ऐसे ही यह शरीर भी विशाल ब्रह्माण्ड का ही एक अंश है। ऐसा मानने से कर्म तो संसार के लिए होंगें पर योग (नित्य योग) अपने लिए अर्थात परमात्मा का अनुभव हो जाएगा। जैसे आकाश में विचरण करते वायु को कोई मुट्ठी में नहीं पकड़ सकता, इसी तरह मन को भी कोई नहीं पकड़ सकता।

- गीता ज्ञान परिवार

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