Anmol Vachan Geeta Gyan
🌞 आज की गीता प्रेरणा 🌞
मनुष्य के रूप में जन्म लेने वाला व्यक्ति चमत्कार नहीं कर सकता। जो स्त्री के गर्भ से उत्पन्न होता है,वो मिट्टी के बने इस शरीर के नियमों से बंधा होता है। उसपर जन्म,वृद्धत्व,रोग और मृत्यु इन चारों का परिणाम निश्चित होता है। जब समाज में फैले अधर्म का नाश करके धर्म की स्थापना करने की इच्छा प्रत्येक मनुष्य के हृदय में जन्म लेती है,जब पाप एक सीमा तक पहुँच जाता है तब धर्म की रक्षा करने हेतु ईश्वर चमत्कार करते ही हैं। धर्म की स्थापना हेतु मनुष्य जब अपना स्वार्थ,अपना मोह इन दोनों का त्याग करके बलिदान के लिए सर्ज हो जाता है तब सारी सृष्टि चमत्कारों से भर जाती है। किंतु ईश्वर चमत्कार तभी करते हैं जब समाज में चारों ओर अधर्म फैला हो फिर भी मनुष्य के हृदय में धर्म का वास हो,मनुष्य संघर्ष करने से कभी भयभीत न हो। जब-जब पाप के सामने मनुष्य अपनी शक्ति की आखिरी बूंद तक युद्ध करता है,तब उसकी रक्षा के लिए ईश्वर चमत्कार करते ही हैं। अर्थात यदि संसार से सृष्टि से और ईश्वर से सहायता प्राप्त करनी हो,तो सबसे पहले अपने स्वार्थ और मोह का त्याग करके संघर्ष करना पड़ता है।
- गीता ज्ञान परिवार
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